Artificial Food Colours
सिंथेटिक खाद्य रंग: मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव और वैज्ञानिक अध्ययन
परिचय
खाद्य पदार्थों में रंग का उपयोग उन्हें अधिक आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है। प्राकृतिक रंगों के अलावा, आधुनिक खाद्य उद्योग में सिंथेटिक खाद्य रंगों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। हालांकि, इन रंगों का मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस लेख में, हम इन रंगों के प्रकार, उपयोग, स्वास्थ्य प्रभाव, वैज्ञानिक शोध और प्राकृतिक विकल्पों के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।
सिंथेटिक खाद्य रंग क्या हैं?
सिंथेटिक खाद्य रंग वे कृत्रिम रासायनिक यौगिक होते हैं जो पेट्रोलियम और कोल टार से बनाए जाते हैं। ये रंग खाद्य पदार्थों को अधिक आकर्षक बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं और मुख्य रूप से कैंडी, बेकरी उत्पाद, सॉस, सॉफ्ट ड्रिंक्स और अन्य पैकेज्ड फूड में पाए जाते हैं।
20वीं सदी की शुरुआत में लगभग 80 प्रकार के सिंथेटिक रंगों का उपयोग किया जाता था, लेकिन स्वास्थ्य सुरक्षा कारणों से अब केवल कुछ ही स्वीकृत हैं। कई देशों में कुछ खाद्य रंग प्रतिबंधित हैं, जबकि कुछ अन्य देशों में इन्हें सीमित मात्रा में अनुमति दी गई है।
सिंथेटिक खाद्य रंगों के प्रकार
वर्तमान में विभिन्न देशों की खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) एजेंसियों द्वारा कुछ सिंथेटिक खाद्य रंगों को मंजूरी दी गई है। सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले रंगों में Red 3, Red 40, Yellow 5, Yellow 6, Blue 1 और Blue 2 शामिल हैं।
Red 3 (Erythrosine) का उपयोग कैंडी, आइसक्रीम और बेक्ड उत्पादों में किया जाता है, लेकिन यह कैंसर और थायरॉयड संबंधी समस्याओं से जुड़ा हुआ है। Red 40 (Allura Red) को जेली, सॉफ्ट ड्रिंक्स और स्नैक्स में मिलाया जाता है, लेकिन यह एलर्जी, अति सक्रियता और संभावित कैंसर जोखिम का कारण बन सकता है।
Yellow 5 (Tartrazine) नूडल्स, चिप्स और सॉफ्ट ड्रिंक्स में उपयोग किया जाता है, लेकिन यह अस्थमा, त्वचा एलर्जी और ध्यान की कमी जैसी समस्याओं से जुड़ा हुआ है। Yellow 6 (Sunset Yellow) का उपयोग कैंडी, जैम और स्नैक्स में किया जाता है और यह पेट की समस्याओं और एलर्जी का कारण बन सकता है।
Blue 1 (Brilliant Blue FCF) को एनर्जी ड्रिंक्स और आइसक्रीम में मिलाया जाता है, लेकिन यह न्यूरोलॉजिकल प्रभाव डाल सकता है। Blue 2 (Indigo Carmine) मुख्य रूप से कैंडी और बेकरी उत्पादों में पाया जाता है और इसे भी न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से जोड़ा गया है।
सिंथेटिक खाद्य रंगों के स्वास्थ्य प्रभाव
1. कैंसर का जोखिम
कुछ शोधों में यह संकेत मिला है कि कुछ सिंथेटिक रंग कैंसर का कारण बन सकते हैं। 1985 में FDA ने एक अध्ययन में पाया कि Red 3 से चूहों में कैंसर हो सकता है। इसके बाद इस रंग को कई उत्पादों में प्रतिबंधित कर दिया गया, लेकिन यह अब भी कुछ देशों में सीमित मात्रा में उपयोग किया जाता है।
2. हाइपरएक्टिविटी और मानसिक प्रभाव
बच्चों में सिंथेटिक रंगों का अधिक सेवन ध्यान भटकाव (ADHD) और अति सक्रियता (Hyperactivity) का कारण बन सकता है।
2007 में Lancet जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि Yellow 5, Red 40 और Sodium Benzoate का सेवन करने वाले बच्चों में ADHD के लक्षण अधिक पाए गए। 2010 में European Food Safety Authority (EFSA) ने इस पर चेतावनी जारी की थी।
3. एलर्जी और अस्थमा
सिंथेटिक रंगों से त्वचा एलर्जी, खुजली, अस्थमा और अन्य एलर्जिक प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं। Yellow 5 (Tartrazine) को अस्थमा और त्वचा एलर्जी से जोड़ा गया है। कई देशों में इस पर खाद्य उत्पादों के लेबल पर चेतावनी अंकित करने की आवश्यकता होती है।
4. पेट की समस्याएँ और पाचन तंत्र पर प्रभाव
Yellow 6 और Blue 1 का अधिक सेवन गैस्ट्रिक समस्या, डायरिया और पेट दर्द से जुड़ा हो सकता है। Red 40 और Yellow 5 को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल असंतुलन से जोड़ा गया है।
वैज्ञानिक शोध और निष्कर्ष
FDA ने कुछ खाद्य रंगों के न्यूरोलॉजिकल प्रभाव की पुष्टि की है, लेकिन कैंसर से संबंधित प्रमाण मिश्रित हैं। European Food Safety Authority (EFSA) ने ADHD और हाइपरएक्टिविटी से कुछ खाद्य रंगों के जुड़े होने की पुष्टि की है।
2007 में Lancet में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, Red 40 और Yellow 5 का सेवन करने वाले बच्चों में ध्यान भटकाव और अति सक्रियता अधिक पाई गई। 2012 में Journal of Pediatrics में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, सिंथेटिक रंगों का अधिक सेवन करने वाले बच्चों में मानसिक विकारों की संभावना अधिक होती है।
प्राकृतिक खाद्य रंग: एक सुरक्षित विकल्प
सिंथेटिक रंगों के संभावित खतरे को देखते हुए, खाद्य कंपनियाँ और उपभोक्ता प्राकृतिक रंगों की ओर बढ़ रहे हैं। प्राकृतिक खाद्य रंग फलों, सब्जियों और मसालों से प्राप्त किए जाते हैं।
बीट रेड (Beet Red) चुकंदर से प्राप्त होता है और इसे प्राकृतिक रंग कोड E162 दिया गया है। कैरेटिनॉयड्स (Carotenoids) गाजर और पपीते से प्राप्त होते हैं और इनका कोड E160a है। क्लोरोफिल (Chlorophyll) पालक और पुदीने से निकाला जाता है और इसे E140 कोड प्राप्त है।
एनथोसाइनिन (Anthocyanins) ब्लूबेरी और अंगूर से प्राप्त होते हैं और इनका प्राकृतिक कोड E163 है।
प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने से कोई विषाक्त प्रभाव नहीं होता, ये पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।
निष्कर्ष
सिंथेटिक खाद्य रंगों का उपयोग खाद्य उद्योग में व्यापक रूप से किया जाता है, लेकिन इनके स्वास्थ्य प्रभावों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। कुछ रंग एलर्जी, पेट की समस्याएँ और मानसिक विकारों का कारण बन सकते हैं। कई देशों में कुछ सिंथेटिक रंगों को प्रतिबंधित किया गया है, जबकि अन्य देशों में इनका सीमित उपयोग किया जाता है।
प्राकृतिक रंग एक सुरक्षित विकल्प हैं और भविष्य में इनका उपयोग बढ़ सकता है। उपभोक्ताओं को खाद्य उत्पादों के लेबल को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए और प्राकृतिक रंगों वाले उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
आगे की पढ़ाई के लिए शोध पत्र और संदर्भ
1. The Lancet, 2007: "Artificial food colours and attention deficit disorder in children"
2. FDA (2021): "Food Additive Regulations - Synthetic Food Colors"
3. Journal of Pediatrics, 2012: "The effects of food coloring on hyperactivity in children"
4. EFSA (2010): "Scientific opinion on the re-evaluation of food colours"
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